अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा निर्बल है या शनि, राहु, केतु के साथ ग्रहण योग में है तो इसके कारण उस व्यक्ति को जबरदस्त मानसिक परेशानी सामना करना पड़ सकता है। जब चंद्रमा कमजोर स्थान पर होता है, तो व्यक्ति को सिज़ोफ्रेनिया, डिप्रेशन, नींद की कमी और स्त्री को मासिक धर्म जैसी समस्याएँ का सामना करना पड़ सकता है। जब चंद्रमा छठे या आठवें या बारहवें भाव में होता है तो जातक में एकाग्रता की कमी होती है।
इसके साथ,जब चंद्रमा शनि से पीड़ित होता है, तो व्यक्ति को बार-बार आत्महत्या के विचार आते हैं और बार-बार निराशा का अनुभव हो सकता है। इसके साथ ही जब राहु या केतु चंद्रमा को पीड़ित करते हैं तब यह व्यक्ति के विल पावर और आत्म विश्वास को कुंठित कर्ता है
बुध की भूमिका
बुध, ज्ञान का कारक है नया सीखने की क्षमता और इच्छा पैदा कर्ता है तंत्र के साथ सब कुछ बुध के शासन में आता है। जब कुंडली में बुध की बलवान होता है, तब जातक में सोचने और कुछ नया करने की करने की ताकत होती है। वो एक अच्छा मार्केट विश्लेषक, आर्टिस्ट और वक्ता होता है..
वहीं यदि कोई अशुभ ग्रह से बुध से पीड़ित हो तो जातक घबराहट वाला अवसाद और अस्थिर मन से पीड़ित हो सकता है। कुंडली में बुध दुर्बल होने की स्थिति में, ग्रह की महादशा या अंतर्दशा के दौरान जातक को मानसिक परेशानी का अनुभव होगा और
अनियंत्रित मनोदशा का भोग बनेगा
यदि बुध छठे या आठवें घर या बारहवें घर में हो या शनि, राहु या केतु जैसे किसी पापी ग्रह की दृष्टि मे हो तो यह तय है कि जातक मनोरोग से पीड़ित हैं। वह गंभीर मानसिक विकारों जैसे baipolar disorder, तनाव,चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं का भोग बनता हैं ।